मंदिर का इतिहास - History Of Temple

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सन् 1958 में ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत श्री राम रमईया जी महाराज यहां आए। जब महाराज जी यहाँ पर आये उस समय यहाँ पर तीन वृक्षों के मध्य एक पिंडी स्थित थी। इनमें एक वृक्ष खैर का, दुसरा कोकोआ का और तीसरा वेरी का वृक्ष था। और इसके मध्य श्री बाबा सिद्ध गोरिअ जी की पिंडी थी। जोकि आज भी उसी स्थान पर स्थित है। ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत श्री राम रमईया जी महाराज यहीं रहने लगे। और महाराज जी यहां पर धुनी लगा कर पुजा किया करते थे। और यही पर उनका स्वर्गवास हो गया। स्वर्गवास से पहले उन्होंने अपना सिंहासन श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत श्री गोपाल दास जी महाराज को दे दिया।

ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत श्री राम रमईया जी महाराज के स्वर्गवास के बाद स्वर्गीय बाबा श्री शिव कुमार दास जी यहां के पुजारी रहे। बाबा जी बहुत लंबे समय तक यहां के पुजारी रहे। स्वर्गीय बाबा श्री शिव कुमार दास जी के स्वर्गवास के बाद, स्वर्गीय बाबा श्री माधव दास जी यहां रहे। स्वर्गीय बाबा श्री माधव दास जी बी बहुत लंबे समय तक यहां के पुजारी रहे। और यही पर उनका स्वर्गवास हो गया। स्वर्गीय बाबा श्री माधव दास जी के स्वर्गवास के बाद से श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत श्री गोपाल दास जी महाराज यहां पर हैं। और उनकी देख-रेख में सब काम हो रहे हैं। श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत श्री गोपाल दास जी महाराज के प्रयासों से आज यहाँ बहुत ही मनमोहक स्थान बन गया हैं। और बहुत सी नई चीजों को बनाया जा रहा है।

श्री बाबा सिद्ध गोरिया जी मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर माना जाता है। यह एक हिन्दु मंदिर है। और यह मंदिर कई वर्षो से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के जिला कठुआ में तहसील हीरानगर के पहाड़ों पर स्थित है। जिसका निर्माण बहुत वर्षों पहले हुआ था। यहां बाबा सिद्ध गोरिया जी की पूजा होती है। प्रमाणों के आधार पर इसे तहसील हीरानगर का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। तहसील हीरानगर और आसपास के गांवों के लोग यहां पर आकर अपने पशुओं की दयाली (दूध, दही और घी) चढ़ाते हैं। और मन्नतें मांगते हैं। सच्चे मन से मांगी मन्नते अवश्य पूरी होती हैं।

In 1958 Brahmalin Sri Sri 1008 Mahamandaleshwar Mahant Shri Ram Ramaiya Ji Maharaj came here. When Maharaj ji came here, a pindi was located in the middle of three trees. Among them, one tree was from Khair, the other one from Cocoa and the third was Vari tree. And in the middle of it was Shri Baba Siddha Goria Ji's Pindi. Which is still located at the same place. Brahmalin Sri Sri 1008 Mahamandaleshwar Mahant Shri Ram Ramaiya Ji Maharaj started living here. And Maharaj ji used to perform pujas here by fading. And that's place where he died. Before his death he gave his throne to Sri Sri 1008 Mahamandaleshwar Mahant Shri Gopal Daas Ji Maharaj.

Brahmalin Sri Sri 1008 Mahamandaleshwar Mahant Shri Ram Ramaiya Ji Maharaj was the priest of the late Baba Shri Shiv Kumar Daas Ji after his death. Baba Ji was a priest here for a long time. After the demise of the late Baba Shri Shiv Kumar Daas Ji, the late Baba Shri Madhav Daas lived here. Late Baba Shri Madhav Daas Ji was a priest for a very long time. And that's place where he died. Since the death of the late Baba Shri Madhav Daas Ji, Sri Sri 1008 Mahamandaleshwar Mahant Shri Gopal Daas Ji Maharaj is here. And all the work is being done under his care. Today, with the efforts of Sri Sri 1008 Mahamandaleshwar Mahant Shri Gopal Daas Ji Maharaj, it has become a very attractive place. And many new things are being made.

Shri Baba Sidh Goriya Ji Temple is considered to be a very ancient temple. It is a Hindu temple. And this temple has been situated on the mountains of Tehsil Hiranagar in District Kathua of Union Territory of Jammu and Kashmir for many years. Which was built many years ago. Here Baba Sidh Goriya ji is worshiped. Based on the evidence, it is considered to be the oldest temple of Tehsil Hiranagar. People from Tehsil Hiranagar and nearby villages come here to offer Dayali (Milk, Curd and Ghee) to their animals. And ask for vows Mannta demanded with true mind is definitely fulfilled.